नीति आयोग की बैठक में बिफरी ममता बनर्जी ने किया वाकआउट
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 27 जुलाई। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल हुईं विपक्षी गठबंधन इंडिया शासित राज्यों की इकलौती सीएम पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी बैठक में बिफर गईं और बैठक बीच में छोड़कर बाहर आ गईं। उन्होंने बैठक में उन्हें बोलने नहीं देने और उनका माइक बंद कर देने का आरोप लगाया, जिसे नीति आयोग और केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया।
नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था। भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री अपने प्रशासनिक अमले के साथ बैठक में शामिल हुए। इंडिया गठबंधन शासित राज्यों की इकलौती सीएम ममता बनर्जी बैठक में शामिल हुईं। ममता बनर्जी बैठक के एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गईं और नीति आयोग का नाम बदलकर फिर से योजना आयोग रखने की मांग मीडिया से बातचीत में की। बैठक से पहले ही विरोधी तेवर दिखा रहीं ममता बैठक में शामिल हुईं। मगर थोड़ी देर बाद ही वह बैठक के बीच में ही वाकआउट कर बाहर आ गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया और उनका माइक बंद कर दिया था। उनके आरोपों को केंद्र सरकार और नीति आयोग दोनों ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता प्रेस सूचना ब्यूरो ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'ममता बनर्जी के किए जा रहे सभी दावे गलत हैं। उनके बोलने का समय पूरा हो गया था। यहां तक कि समय बताने के लिए बेल भी नहीं बजाई गई थी।' नीति आयोग के सीईओ वीवीआर सुब्रमण्यम ने ममता बनर्जी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
ममता बनर्जी का आरोपि आॉॉ
ममता बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा, 'तीन साल से हमारा 100 दिन का काम (मनरेगा) बंद करके रखा है, आवास योजना बंद करके रखा है। ऐसे कोई सरकार नहीं चलती। आप अपनी पार्टी और दूसरी पार्टी में भेदभाव नहीं कर सकते, आप केंद्र में सत्ता में हैं। आपको सभी का ध्यान रखना होगा। मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ पांच मिनट ही बोलने की इजाजत मिली। मुझसे पहले जिन लोगों ने बोला वह 10-20 मिनट तक बोले। विपक्ष की तरफ से मैं अकेली इस बैठक में हिस्सा ली। लेकिन फिर भी मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। यह अपमानजनक है।'
सरकार ने खारिज किए आरोप
सरकारी सूत्रों ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ममता को बोलने के लिए दिया गया समय समाप्त हो गया था। यह कहना गलत है कि ममता का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि घड़ी के अनुसार, उनके बोलने का समय समाप्त हो गया था। बंगाल सीएम की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में बोलने की अनुमति दी गई, क्योंकि उन्हें जल्दी कोलकाता लौटना था।